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Showing posts from March, 2020

300 वर्ष पुराना चिंताहरण हनुमान जी का मंदिर :

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झांसी के पास पंचकुइयां इलाके में संकटमोचन महावीर बजरंबली जी का मंदिर है. इस मंदिर में बजरंबली के साथ दो राक्षसों की भी पूजा जाती है. यह दो राक्षस हैं रावण का बहुत प्रिय अहिरावण और महिरावण. यह मंदिर रामायण के लंकाकांड में हनुमान जी द्वारा अहिरावण और महिरावण वध की कथा को बताता है. पुरातत्‍वविदों के मतानुसार, चिंताहरण हनुमान जी का यह मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है. ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ वीर हनुमान का यह प्रतिमा पांच फुट ऊंचा है. महावीर के कंधे पर श्रीराम और लक्ष्‍मण जी विराजमान हैं और पैरों से एक तांत्रिक देवी को कुचलते हुए दिखाया गया है. इसी प्रतिमा के साथ ही अहिरावण और महिरावण की प्रतिमाएं भी हैं. इस प्रतिमा में तांत्रिक देवी की मां हनुमान जी से क्षमा मांगते दिख रही है. प्रतिमा के दाएं ओर हनुमान जी के पुत्र मकरध्‍वज भी है.

पुत्र प्राप्ति की हनुमान कहानी :

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एक समय की बात है एक ब्राह्मण पत्नी और पति थे | उनके कोई संतान नही थी इसी कारणवश वे दुखी थे | ब्राह्मण हनुमान जी का परम भक्त था और अपनी हर प्राथना में संतान प्राप्ति की ही विनती करता था | दूसरी तरफ उसकी पत्नी भी बालाजी की परमभक्त थी , वह भी हर मंगलवार हनुमानजी का व्रत रखती थी और अपने सम्पूर्ण दिन को हनुमानजी की सेवा में लगा देती थी | एक मंगलवार ऐसा आया जब वो हनुमान जी भोग के लिए प्रसाद की व्यवस्था नहीं कर सकी | उसे उस दिन बहूत दुःख हुआ और उसने यह प्रण लिया की अब वो पुरे सप्ताह व्रत रखेगी | सप्ताह भर भूखे पेट रहने से वो महिला बड़ी कमजोर हो गयी | भगवान श्री हनुमान अपने इस भक्त यह त्याग देख रहे थे | अब उनसे भी रहा ना गया और उन्होंने उस महिला को बालक के रूप में दर्शन दिए | महिला उस बालक के चरणों में गिर गयी , वो समझ चुकी थी की वो बालक कोई और नहीं अपितु हनुमान ही है | बालक हनुमान ने उन्हें आशीष रूप में एक पुत्र दिया जिसका नाम उस महिला ने मंगल रखा | उसके बाद हनुमान जी अद्रश्य हो गये | शाम को जब ब्राह्मण घर आया तब उसने देखा की उनके घर के आँगन में कोई बालक खेल रहा है | ब्राह्मण पत्नी

क्यों चढ़ाया जाता है हनुमान जी के सिंदूर

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आप देखते होंगे की श्री हनुमान बालाजी को उनके भक्त पूजन के दौरान सिंदूर चढाते है और उनका चोला भी सिंदूरी रंग का होता है | सिंदूर को हिन्दू धर्म में बहूत ही पवित्र को दीर्घ आयु का प्रतिक माना गया है | हनुमान जी के साथ साथ बहूत सारे देवी देवताओ के सिंदूर चांदी के व्रक के साथ चढ़ा कर श्रींगार किया जाता है | आइये जाने शास्त्रों में एक प्रसंग बताया गया है, जो कि काफी प्रचलित है। इसके अलावा सिंदूर से चोला चढ़ाने के पीछे कुछ और भी कारण हैं। रामचरितमानस के एक प्रसंग में एक बार जब हनुमान जी ने जानकी माता को सिंदूर लगते हुए देखा तो कौतुहल वश पूछ लिया की वो ऐसा क्यों करती है | इस पर माता सीता ने बताया की वो सिंदूर अपने पति श्री राम के दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए लगाती है | हनुमान जी को यह बात भा गयी | उन्होंने सोचा की एक चुटकी सिंदूर में जब इतनी शक्ति है तो यदि वो पुरे शरीर पर प्रभु श्री राम के दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए लगा ले तो यह ज्यादा लाभकारी होगा | बस यही सोच कर हनुमान जी अपने पुरे शरीर पर सिंदूर लगा ली | तभी से बजरंग बली को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। क्

हनुमान चालीसा का लाभ

शिवजी के रुद्रावतार माने जाने वाले हनुमान जी को बजरंग बली, पवनपुत्र, मारुती नंदन, केसरी आदि नामों से भी जाना जाता है. हनुमान जी को वीरता, भक्ति और साहस का परिचायक माना जाता है. मान्यता है कि हनुमान जी अजर-अमर हैं और इनका नाम लेने भर से हर भय और कष्ट से मुक्ति मिल जाती है. विशेष रूप से शनिवार और मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना ब‍हुत लाभदायक होेता है और ऐसा करने से शनिदेव भी प्रसन्‍न रहते हैं. हनुमान चालीसा का लाभ हनुमान जी को प्रतिदिन याद करने और उनके मंत्र जाप करने से मनुष्य के सभी भय दूर होते हैं. शनि साढ़ेसाती या महादशा से पीड़ित जातकों के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभदायक माना जाता है. साथ ही जिन लोगों की कुंडली में मांगलिक दोष हो उनके लिए भी हनुमान चालीसा का पाठ लाभदायक समझा जाता है.