ज्योतिष में पितृदोष का बहुत महत्व माना जाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में पितृदोष सबसे बड़ा दोष माना गया है। इससे पीड़ित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है।> > जिस जातक की कुंडली में यह दोष होता है उसे धन अभाव से लेकर मानसिक क्लेश तक का सामना करना पड़ता है। पितृदोष से पीड़ित जातक की उन्नति में बाधा रहती है। आमतौर पर पितृदोष के लिए खर्चीले उपाय बताए जाते हैं लेकिन यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष बन रहा है और वह महंगे उपाय करने में असमर्थ है तो भी परेशान होने की कोई बात नहीं। पितृदोष का प्रभाव कम करने के लिए ऐसे कई आसान, सस्ते व सरल उपाय भी हैं जिनसे इसका प्रभाव कम हो सकता है 1. कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। 2. अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराए। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं। 3. इसी
🍁 ⛪ 👏 👏 👏 👏 👏 ⛪ 🍁 *एक सेठ के घर के बाहर खड़ा होकर भजन गा रहा था और बदले में खाने को रोटी मांग रहा था। सेठानी काफी देर से उसको कह रही थी,आ रही हूँ। रोटी हाथ मे थी पर फिर भी कह रही थी की रुको आ रही हूँ। भिखारी भजन गा रहा था और रोटी मांग रहा था।* *सेठ ये सब देख रहा था, पर समझ नही पा रहा था, आखिर सेठानी से बोला, "रोटी हाथ में लेकर खडी हो, वो बाहर मांग रहा है, उसे कह रही हो आ रही हूँ तो उसे रोटी क्यो नही दे रही हो ?"* *सेठानी बोली, "हाँ रोटी द ूँगी, पर क्या है ना की मुझे उसका भजन बहुत प्यारा लग रहा हैं, अगर उसको रोटी दूँगी तो वो आगे चला जायेगा। मुझे उसका भजन और सुनना है।"* *यदि प्रार्थना के बाद भी भगवान आपकी नही सुन रहे हैं तो समझना की उस सेठानी की तरह प्रभु को आपकी प्रार्थना प्यारी लग रही है, इसलिये इंतजार करो और प्रार्थना करते रहो।* *जीवन मे कैसा भी दुख और कष्ट आये पर भक्ति मत छोड़िए। क्या कष्ट आता है तो आप भोजन करना छोड देते हैं ? क्या बीमारी आती है तो आप सांस लेना छोड देते हैं ? नही ना ? फिर जरा सी तकलीफ आने पर आप भक्ति करना क्यों छोड़ देते हो ?* *कभी
हनुमान गढ़ी नैमिषारण्य श्री हनुमान के मुख्य मंदिरो में भारत में विशेष है | श्री नैमिषारण्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 100 कि. मी. दूर सीतापुर जिले में अयोध्या के पास स्थित है | यहा स्तिथ बालाजी मुर्ती बलिष्ठ और लाल रंग में है | इतिहास : पढ़े : हनुमान जी के मुख्य मंदिर कहा जाता है नैमिषारण्य वो जगह थी जहा से हनुमान जी ने पाताल लोक से श्री राम और लश्मन को अहिरावन से बचाकर निकाल लाये थे | इस नैमिषारण्य अयोध्या जगह पर इन तीनो ने महान संतो के दर्शन किये और पुनः रावण से युद्ध करने लंका प्रस्थान का गये | मुख्य मान्यता इस मंदिर की : इस मंदिर में दक्षिण मुखी हनुमान जी हैं। जिस किसी के द्रानि राहु केतु मंगल ग्रह अरिष्ट होते हैं । यहा दर्शन मात्र और हनुमान जी को लाल छोला चड़ाने से ग्रह शांत हो जाते है और जीवन में सफलता और समृद्धि आती है | यह हनुमान जी का सिद्धि पीठ हैं। हनुमान गढ़ी नैमिषारण्य का पता : श्री हनुमानगढ़ी नैमिषारण्य सीतापुर उ० प्र० पिन-261402 फोन:05865-251244
Comments
Post a Comment