Posts
Showing posts from February, 2020
संकट मोचन महाबली हनुमान मंदिर
- Get link
- X
- Other Apps
भगवान हनुमान की 67 फीट ऊँची मूर्तिकला संकट मोचन श्री हनुमान मंदिर में स्थित है; फिल्लौर शहर भारत के पंजाब राज्य में जालंधर जिले के अंतर्गत आता है। यह जिला हेड क्वार्टर जालंधर से लगभग 47 किलोमीटर और लुधियाना से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है। फिल्लौर लुधियाना और जालंधर छावनी की सीमा रेखा पर रेलवे जंक्शन है। लोकप्रिय हिंदू भजन, जय जगदीश हरे की रचना एक स्थानीय विद्वान शारदा राम फिल्लौरी ने फिल्लौर से किसी समय 1870 में की थी। शारदा राम फिल्लौरी ने यह भी लिखा कि आमतौर पर हिंदी में पहला उपन्यास क्या माना जाता है। 67 फीट हनुमान प्रतिमा, संकट मोचन श्री हनुमान मंदिर, फिल्लौर, पंजाब फिल्लौर सिटी, फिल्लौर 144410
श्री केम्प हनुमानजी मंदिर
- Get link
- X
- Other Apps
दर्शनार्थीयों के लिए मंदिर का दर्शन समय : श्री केम्प हनुमानजी मंदिर सुबह 5.30 से रात्री के 11.30 बजे तक दर्शनार्थीयों के लिए खुला होता है । मंदिर में आरती का समय : प्रभु श्री केम्प हनुमानजी की आरती एक अदभुत प्रसंग है और श्री केम्प हनुमानजी मंदिर में रविवार से शुक्रवार के दिनो में सुबह 6.30 बजे और शाम को 6.30 बजे, शनिवार के दिन सुबह 5.30 बजे और शाम को 5.30 बजे आरती होती है । (ग्रहण के दिनो में आरती के समय में बदलाव हो सकता है।) आरती की प्रक्रिया : सौप्रथम पुजारीजी के द्वारा श्री हनुमानजी एवं सभी भगवान को गंगाजल से स्नान कराया जाता है । उसके बाद श्री हनुमानजी एवं सभी भगवानों को चंदन और केसर चढाया जाता है एवं अत्तर का छंटकाव किया जाता है । उसके बाद आरती की तैयारी शुरु होती है । दिये, अगरबत्ती प्रगटायी जाती है । फूलों से शृंगार किया जाता है और आरती के हेतु सभी वाद्ययंत्र एवं शंख का उपयोग किया जाता है और श्री हनुमानजी की आरती वाद्ययंत्रो के साथ गायी जाती है । इस दौरान श्री हनुमानजी की मनपसंद श्री राम स्तुति का गान होता है । मंदिर में उपस्थित सभी भक्त अनन्य भाव से शामिल होते
गोदावरी में स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर के दर्शन
- Get link
- X
- Other Apps
कोटा में चंबल के पूर्वी किनारे पर यह मंदिर स्थित है | यह प्राचीन मंदिर सन 1043 वर्ष पूर्व का है | इस मंदिर का जीर्णोउद्धार 1963 को रामनवमी के शुभ दिवस पर श्री गोपीनाथ जी भार्गव के माध्यम से किया गया | मंदिर के अन्दर मैदान में सत्संग हाल बना है | 12 फुट ऊँचे चबूतरे पर 120 फुट लम्बा, 60 फुट चौड़ा भवन का निर्माण हुआ है जिसे मार्बल पत्थरों से सज्जित किया गया है | उत्तर दिशा में हनुमान जी का मंदिर स्थापित है | गर्भगृह 15 फुट लम्बा, 15 फुट चौड़ा बना है | जिसमें सफ़ेद मार्बल लगे है | यही काली शिला पर श्री हनुमान जी वीर आसन में स्थापित है | यह प्रतिमा 6 फुट ऊँची है | प्रतिमा का मुख मानव स्वरुप एवं ब्रह्मचारी के रूप में है | सिर पर जता बांधी हुई है | गले में रुद्राक्ष की माला है | जिसके अन्दर लटके हुए लोकेट में श्री राम जी चरण पादुकाएँ प्रदर्शित है | मस्तक पर चांदी का मुकुट है | ऊपर चांदी का छत्र है चांदी की बड़ी गदा एवं खडाऊ है | हनुमान जी का मुख दक्षिण दिशा में है | Godavari Dham Hanuman Mandir मुख्य मंदिर के अतिरिक्त सिद्ध विनायक गणेश जी, बटुक भैरव, तुलसी जी की प्रतिमा है | जिसमे
हनुमान चालीसा की रचना के पीछे रोचक कहानी
- Get link
- X
- Other Apps
हनुमान चालीसा की रचना के पीछे एक बहुत जी रोचक कहानी है जिसकी जानकारी शायद ही किसी को हो। आइये जानते हैं हनुमान चालीसा की रचना की कहानी :- ये बात उस समय की है जब भारत पर मुग़ल सम्राट अकबर का राज्य था। सुबह का समय था एक महिला ने पूजा से लौटते हुए तुलसीदास जी के पैर छुए। तुलसीदास जी ने नियमानुसार उसे सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद दिया। आशीर्वाद मिलते ही वो महिला फूट-फूट कर रोने लगी और रोते हुए उसने बताया कि अभी-अभी उसके पति की मृत्यु हो गई है। इस बात का पता चलने पर भी तुलसीदास ज ी जरा भी विचलित न हुए और वे अपने आशीर्वाद को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थे। क्योंकि उन्हें इस बात का ज्ञान भली भाँति था कि भगवान राम बिगड़ी बात संभाल लेंगे और उनका आशीर्वाद खाली नहीं जाएगा। उन्होंने उस औरत सहित सभी को राम नाम का जाप करने को कहा। वहां उपस्थित सभी लोगों ने ऐसा ही किया और वह मरा हुआ व्यक्ति राम नाम के जाप आरंभ होते ही जीवित हो उठा। यह बात पूरे राज्य में जंगल की आग की तरह फैल गयी। जब यह बात बादशाह अकबर के कानों तक पहुंची तो उसने अपने महल में तुलसीदास को बुलाया और भरी सभा में उनकी परीक्षा
वीर मारुति बेदी हनुमान, जगन्नाथपुरी (उड़ीसा)
- Get link
- X
- Other Apps
जगन्नाथपुरी में ही सागर तट पर बेदी हनुमान का प्राचीन एवं प्रसिद्ध मंदिर है। कहावत है कि महाप्रभु जगन्नाथ ने वीर मारुति को यहां समुद्र को नियंत्रित करने हेतु नियुक्त किया था, परंतु जब-तब हनुमान भी जगन्नाथ-बलभद्र एवं सुभद्रा के दर्शनों का लोभ संवरण नहीं कर पाते थे, सम्प्रति समुद्र भी उनके पीछे नगर में प्रवेश कर जाता था। केसरीनंदन की इस आदत से परेशान हो जगन्नाथ महाप्रभु ने हनुमान को यहां स्वर्ण बेड़ी से आबद्ध कर दिया।
पान्डुपोल हनुमान मंदिर, जिला अलवर (राजस्थान)
- Get link
- X
- Other Apps
हनुमानजी की अनोखी प्रतिमा वाला यह मंदिर राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। अलवर जिला मुख्यालय से लगभग 55 किमी दूर सरिस्का अभयारण्य और अरावली की सुन्दर वादियों में स्थित इस मंदिर स्थान को पान्डुपोल के नाम से जाना जाता है। सरिस्का राष्ट्रीय पार्क के मुख्य प्रवेश द्वार से 11 किमी की दूरी पर स्थित यह मंदिर महाभारतकाल की याद दिलाता है। कहा जाता है मंदिर उसी स्थान पर बना है, जहां हनुमानजी ने आराम किया था। कहा जाता है कि पान्डुपोल वह प्राचीन स्थान है, जहां महाभारत के भीम ने विशाल दैत्य हिडिम्ब को हराकर उसकी बहन हिडिम्बा से विवाह किया था। पांडवों ने वनवास के दौरान यहां शरण ली थी।
श्री पंचमुख आंजनेयर हनुमान, तमिलनाडू
- Get link
- X
- Other Apps
श्री पंचमुख आंजनेयर हनुमान, तमिलनाडू तमिलनाडू के कुम्बकोनम नामक स्थान पर श्री पंचमुखी आंजनेयर स्वामी जी (श्री हनुमान जी) का बहुत ही मनभावन मठ है। यहाँ पर श्री हनुमान जी की "पंचमुख रूप" में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है। यहाँ पर प्रचलित कथाओं के अनुसार जब अहिरावण तथा उसके भाई महिरावण ने श्री राम जी को लक्ष्मण सहित अगवा कर लिया था, तब प्रभु श्री राम को ढूँढ़ने के लिए हनुमान जी ने पंचमुख रूप धारण कर इसी स्थान से अपनी खोज प्रारम्भ की थी। और फिर इसी रूप में उन्होंने उन अहिरावण और महिरावण का वध भी किया था। यहाँ पर हनुमान जी के पंचमुख रूप के दर्शन करने से मनुष्य सारे दुस्तर संकटों एवं बंधनों से मुक्त हो जाता है।
गिरजाबंध हनुमान मंदिर – रतनपुर – छत्तीसगढ़
- Get link
- X
- Other Apps
बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर एक स्थान है रतनपुर। इसे महामाया नगरी भी कहते हैं। यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है। इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का मंदिर है। खास बात यह है कि विश्व में हनुमान जी का यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं। इस दरबार से कोई निराश नहीं लौटता। भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। गिरजाबंध में है स्तिथ : बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर एक स्थान है रतनपुर। इसे महामाया नगरी भी कहते हैं। यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है। इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का मंदिर है। खास बात यह है कि विश्व में हनुमान जी का यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं। इस दरबार से कोई निराश नहीं लौटता। भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू ने करवाया था निर्माण : पौराणिक और एतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण इस देवस्थान के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह लगभग दस हजार वर्ष पुराना है। एक दिन रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू क़ा ध्यान अपनी शारीरिक अस्वस्थता की ओर गया।