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Showing posts from December, 2019

भगवान हनुमान को हजारों साल तक अमर रहने का वरदान क्यों मिला था

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भगवान हनुमान को हजारों साल तक अमर रहने का वरदान क्यों मिला था ! दिल को छू लेनेवाली कहानी ! हनुमान के जीवित होने का राज धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं. त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं. रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं. तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है हनुमान के जीवित होने का राज? तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे – हनुमान के जीवित होने का राज – वाल्मीकि रामायण के अनुसार

श्री राम भक्त हनुमान

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हनुमान गढ़ी नैमिषारण्य श्री हनुमान के मुख्य मंदिरो में भारत में विशेष है | श्री नैमिषारण्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 100 कि. मी. दूर सीतापुर जिले में अयोध्या के पास स्थित है | यहा स्तिथ बालाजी मुर्ती बलिष्ठ और लाल रंग में है | इतिहास : पढ़े :  हनुमान जी के मुख्य मंदिर कहा जाता है नैमिषारण्य वो जगह थी जहा से हनुमान जी ने पाताल लोक से श्री राम और लश्मन को अहिरावन से बचाकर निकाल लाये थे | इस नैमिषारण्य अयोध्या जगह पर इन तीनो ने महान संतो के दर्शन किये और पुनः रावण से युद्ध करने लंका प्रस्थान का गये | मुख्य मान्यता इस मंदिर की : इस मंदिर में दक्षिण मुखी हनुमान जी हैं। जिस किसी के द्रानि राहु केतु मंगल ग्रह अरिष्ट होते हैं । यहा दर्शन मात्र और हनुमान जी को लाल छोला चड़ाने से ग्रह शांत हो जाते है और जीवन में सफलता और समृद्धि आती है | यह हनुमान जी का सिद्धि पीठ हैं। हनुमान गढ़ी नैमिषारण्य का पता : श्री हनुमानगढ़ी नैमिषारण्य सीतापुर उ० प्र० पिन-261402 फोन:05865-251244

अर्जुन के रथ पर हनुमान

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हनुमान और अर्जुन के बीच एक तर्क में, अर्जुन ने दावा किया कि वह भगवान श्रीराम के युद्ध में रावण के साथ अपनी तीरंदाजी कौशल का उपयोग करते हुए वानर सेना द्वारा निर्मित पुल का पुनर्निर्माण कर सकता है। हनुमान ने चुनौती रखी कि क्या अर्जुन एक पुल का निर्माण कर सकता है जो उसके वजन का सामना कर सकता है। लेकिन अर्जुन का विफल होना तय किया गया था कि अर्जुन पिर में प्रवेश करके अपना जीवन छोड़ देगा, अर्जुन ने एक पल में एक पुल बनाया और जब हनुमान ने इस पर कदम रखा तब पूरा पुल टूट गया, अर्जुन ने बेहद निराश होकर अपना जीवन खत्म करने का फैसला किया। इस समय भगवान कृष्ण ने दर्शन दिया और अर्जुन से पुल का निर्माण करने के लिए कहा और बोले पुल श्री राम का नाम लेकर बनाओ अर्जुन ने पुल का निर्माण किया, और हनुमान को उस पर चलने को कहा। अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हनुमान पुल को तोड़ नहीं सके; इस समय हनुमान को भगवान कृष्ण में श्रीराम दिखे और उन्होंने कहा कि अगर सेना उनको अकेला छोड़ दें, तो वह युद्ध में अर्जुन के रथ के ध्वज पर होगें । उन्होंने अर्जुन के रथ के झंडे पर होने से युद्ध में अर्जुन को सहायता द

जो भी घर में इस समय लगाता है झाड़ू होता है करोड़पति खुद हमारे शास्त्रों में लिखा है ये समय

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दोस्तों घर में लोग कभी भी झाड़ू लेकर सफार्इ करना शुरू कर देते हैं, जबकि झाड़ू लगाने का अपना एक समय होता है। लोग कहते हैं कि हम इसे नहीं मानते, लेकिन जिसने सही समय पर सफार्इ करने के लिए झाड़ू लगार्इ, उनके यहां धन की कभी कमी नहीं होती आैर जिन लोगों ने बेसमय घर या अपने संस्थान में सफार्इ की वहां दरिद्रता बढ़ती जाती है साथ ही माँ लक्ष्मी का उस घर में कभी भी वास नहीं होता । यह वास्तु शास्त्र कहता है कि घर में सफार्इ के लिए झाड़ू सही समय पर ही लगाएं। घर में सफार्इ के लिए झाड़ू सही समय लगाने का नियम बना लें तो मां लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त होगी। और घर बरकत ही बरकत होने लगती है दोस्तों सुबह चार से पांच बजे के बीच घर में सफार्इ के लिए झाड़ू लगार्इ जाए तो इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं आैर यदि रात के समय झाड़ू लगार्इ जाती है तो मां लक्ष्मी उस व्यक्ति से रुष्ट हो जाती हैं आैर उस घर में दरिद्रता आने लगती है। उन्होंने बताया कि वैसे तो दिन के चार पहर में झाड़ू से सफार्इ की जा सकती है, लेकिन रात को झाड़ू कदापि न लगाएं। सही समय सुबह चार से पांच बजे ही है, प्रयत्न करें कि इसी समय घर में झाड

यदि घर में है यह पौधा तो बीमारी ही नहीं गरीबी भी रहती है कोषों दूर

अधिकतर घरों में पेड़- पौधों को बहुत महत्व दिया जाता है और दें भी क्यों ना। घर में शांतिमय माहौल बनाये रखने के लिए पेड़ पौधे बहुत लाभकारी होते हैं। साथ ही इससे आपके घर का वातावरण भी शुद्ध रहता है। लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे पौधों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हे घर में लगाने से आपको कई लाभ प्राप्त होंगे। तो आइये जानते हैं इन पौधों के बारे में: केले के पेड़ को ईशान कोण में लगाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। इसके पास यदि तुलसी का पौधा लगाया जाए, तो भगवान विष्णु के साथ-साथ देवी लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। अशोक के पेड़ को घर में लगाने से प्रसन्नता प्राप्त होती रहती है और शोक दूर होता है। यह घर के सदस्यों के बीच प्रेम और सौहार्द्र को बढ़ाता है। घर के आसपास बांस का पौधा या घर के अंदर उसका बोन्साई रूप लगाने से समृद्धि और तरक्की होती है। घर में हल्दी का पौधा लगाना भी शुभ होता है। यह पौधा गुणकारी और चमत्कारी होता है। घर में आंवले का पेड़ लगाने और रोजाना उसकी पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आंवले के पेड़ को घर की उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना लाभकारी है।
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एक वृद्ध ट्रेन में सफर कर रहा था, संयोग से वह कोच खाली था। तभी 8-10 लड़के उस कोच में आये और बैठ कर मस्ती करने लगे। एक ने कहा - "चलो, जंजीर खीचते है". दूसरे ने कह ा - "यहां लिखा है 500 रु जुर्माना ओर 6 माह की कैद." तीसरे ने कहा - "इतने लोग है चंदा कर के 500 रु जमा कर देंगे." चन्दा इकट्ठा किया गया तो 500 की जगह 1200 रु जमा हो गए. जिसमे 200 के तीन नोट, 2 नोट पचास के बांकी सब 100 के थे चंदा पहले लड़के के जेब मे रख दिया गया। तीसरे ने कहा, "जंजीर खीचते है, अगर कोई पूछता है, तो कह देंगे बूढ़े ने खीचा है। पैसे भी नही देने पड़ेंगे तब।" बूढ़े ने हाथ जोड़ के कहा, "बच्चो, मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मुझे क्यो फंसा रहे हो?" लेकिन नही । जंजीर खीची गई। टीटीई आया सिपाही के साथ, लड़कों ने एक स्वर से कहा, "बूढे ने जंजीर खीची है।" टी टी बूढ़े से बोला, "शर्म नही आती इस उम्र में ऐसी हरकत करते हुए?" बूढ़े ने हाथ जोड़ कर कहा, "साहब" मैंने जंजीर खींची है, लेकिन मेरी बहुत मजबूरी थी।" उसने पूछा, "क्या मजबू

हनुमान का सागर पार करना।

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हनुमान का सागर पार करना। बड़े बड़े गजराजों से भरे हुए महेन्द्र पर्वत के समतल प्रदेश में खड़े हुए हनुमान जी वहाँ जलाशय में स्थित हुए विशालकाय हाथी के समान जान पड़ते थे। सूर्य, इन्द्र, पवन, ब्रह्मा आदि देवों को प्रणाम कर हनुमान जी ने समुद्र लंघन का दृढ़ निश्चय कर लिया और अपने शरीर को असीमित रूप से बढ़ा लिया। उस समय वे अग्नि के समान जान पड़ते थे। उन्होंने अपने साथी वानरों से कहा, हे मित्रों! जैसे श्री र ामचन्द्र जी का छोड़ा हुआ बाण वायुवेग से चलता है वैसे ही तीव्र गति से मैं लंका में जाउँगा और वहाँ पहुँच कर सीता जी की खोज करूँगा। यदि वहाँ भी उनका पता न चला तो रावण को बाँध कर रामचन्द्र जी के चरणों में लाकर पटक दूँगा। आप विश्वास रखें कि मैं सर्वथा कृतकृत्य होकर ही सीता के साथ लौटूँगा अन्यथा रावण सहित लंकापुर को ही उखाड़ कर लाउँगा। इतना कह कर हनुमान आकाश में उछले और अत्यन्त तीव्र गति से लंका की ओर चले। उनके उड़ते ही उनके झटके से साल आदि अनेक वृक्ष पृथ्वी से उखड़ गये और वे भी उनके साथ उड़ने लगे। फिर थोड़ी दूर तक उड़ने के पश्चात् वे वृक्ष एक-एक कर के समुद्र में गिरने लगे। वृक्षों से पृथक हो कर सागर म

जाखू मंदिर शिमला

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शिमला के जाखू में स्थित हनुमान मंदिर एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जहां देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं. मान्यता है कि राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण जी के मूर्छित हो जाने पर संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की ओर आकाश मार्ग से जाते हुए हनुमान जी की नजर यहां तपस्या कर रहे यक्ष ऋषि पर पड़ी. बाद में इसका नाम यक्ष ऋषि के नाम पर ही यक्ष से याक, याक से याकू, याकू से जाखू तकबदलता गया. हनुमान जी विश्राम करने और संजीवनी बूटी का परिचय  प्राप्त करने के लिए जाखू पर्वत के जिस स्थान पर उतरे, वहां आज भी उनके पद चिह्नों को  संगमरमर से बनवा  कर रखा गया है.

Mahavir Mandir, Patna

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Mahavir Mandir, Patna Is One Of The Leading Hanuman Temples In The Country. Daily Thousands Of Devotees Throng The Temple And Get Solace From The Worship Of Hanumanji. It Is A ‘Manokamana’ Mandir Where Devotees’ Every Wish Is Fulfilled And This Is The Reason For Ever-Increasing Number Of Devotees In The Temple.