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Showing posts from January, 2020

कष्टभंजन हनुमान मंदिर

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में भावनगर के पास सारंगपुर में हनुमानजी का एक प्राचीन मंदिर है। इसे कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहा जाता है। इस मंदिर की एक खास बात ये है कि यहां हनुमानजी के साथ  ही  शनिदेव स्त्री रूप में भी विराजित हैं। शनिदेव हनुमानजी के चरणों में बैठे हैं। इस संबंध में यहां एक कथा प्रचलित है।   जानिए हनुमान और शनिदेव के इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें... >  यहां प्रचलित कथा के अनुसार प्राचीन समय में शनिदेव का प्रकोप काफी बढ़ गया था। शनि के प्रकोप के कारण सभी लोगों को कई दुखों और परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा था। शनि से बचाने के लिए भक्तों ने हनुमानजी से प्रार्थना की। >  भक्तों की प्रार्थना सुनकर हनुमानजी शनिदेव पर क्रोधित हो गए और उन्हें दंड देने का निश्चय किया। जब शनिदेव को यह बाच पता चली तो वे बहुत डर गए और हनुमानजी के क्रोध से बचने के लिए उपाय सोचने लगे। >  शनिदेव ये बात जानते थे कि हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और वे स्त्रियों पर हाथ नहीं उठाते हैं। इसलिए, हनुमानजी के क्रोध से बचने के लिए शनिदेव ने स्त्री का रूप धारण कर लिया और हनुमानजी के चरणों में गिरकर क्षमा मांगने लगे।

श्री त्रिमूर्तिधाम (पञ्चतीर्थ) बालाजी हनुमान मंदिर

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श्री बाला जी हनुमान श्री केसरी नन्दन जो ग्यारहवें रूद्र हैं- जो सभी गुणों के भण्डार हैं- ज्ञानियों में सर्वश्रेष्ठ, दुष्टों का विनाश करने वाले, सुवर्ण कान्ति के समान देह वाले वानर वीर महावीर श्री हनुमान जी का ही नाम है जो भगवान  शंकर  का ही अवतार हैं। श्री हनुमान जी के विषय में नारद पुराण में कहा गया है- सः सर्वरूपः सर्वज्ञ सृष्टि स्थिति करोवतु। स्वयं ब्रह्मा स्वयं विष्णुः साक्षाद् देवो महेश्वरः।। नारदपुराण पू पाद 78/24/25 वे सर्व स्वरूप तथा सृष्टि रचते और उसका पालन करते हैं, और विनाशक भी वही हैं – वे ही स्वयं ब्रह्मा, विष्णु तथा साक्षात् शिव हैं। और शिवावतार श्री हनुमान जी की पूजा भारत में ही नहीं विश्व में अनेकत्र स्थानों पर बडी़ श्रद्धा से की जाती है।

बेट द्वारका हनुमान दंडी मंदिर, गुजरात

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द्वारका से चार मील की दूरी पर बेटद्वारका हनुमान दंडी मंदिर स्थित है। इस स्थान पर मकर ध्वज के साथ में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं। इस मंदिर को दांडी हनुमान मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह वही स्थान है जहां पहली बार हनुमानजी अपने पुत्र मकरध्वज से मिले थे। मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही सामने हनुमान पुत्र मकरध्वज की प्रतिमा है, वहीं पास में हनुमानजी की प्रतिमा भी स्थापित है। इन दोनों प्रतिमाओं की विशेषता यह है कि इन दोनों के हाथों कोई भी शस्त्र नहीं है और ये आनंदित मुद्रा में है। यह मंदिर 500 वर्ष पुराना है। भारत में यह पहला मंदिर जहाँ हनुमानजी और मकरध्वज (पिता -पुत्र) का मिलन दिखाया गया है। जब हनुमानजी श्रीराम-लक्ष्मण को लेने के लिए आए, तब उनका मकरध्वज के साथ घोर युद्ध हुआ। कुछ धर्म ग्रंथों में मकरध्वज को हनुमानजी का पुत्र बताया गया है, जिसका जन्म हनुमानजी के पसीने द्वारा एक मछली से हुआ था। कहते हैं कि पहले हिंदू धर्म को मानने वाले ये बात बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि भ

एक युग में भोजन करें दूसरे युग में पानी पीयें .....

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एक युग में भोजन करें दूसरे युग में पानी पीयें ...... भगवान् राम जब रावण को मारकर अयोध्या आयें और रामजी का राजतिलक हो गया, माता जानकीजी की ब्राह्मणों में बड़ी श्रद्धा है, अपने हाथ से ब्राह्मणों के लिये भोजन बनाती है, रामजी से एक दिन उदास होकर बोले- प्रभु क्या बताऊँ? बड़े प्रेम से भोजन प्रसादी हूं लेकिन जो भी ब्राह्मण देवता आते हैं वे थोड़ा सा पाकर ही उठ जाते हैं, कोई ढंग से भोजन पाता ही नहीं, कभी कोई ऐसा ब्राह्मण तो बुलाओ न प्रभु, जिन्हें मैं जिम्हाकर सन्तुष्ट हो सकू। रामजी बोले- ऐसा मत कहो देवी, कभी कोई ऐसा ब्राह्मण आ गया तो आप भोजन बनाते-बनाते थक जाओगी, अभी आपने असली ब्राह्मण देखे कहां है? ठीक है किसी दिव्य ब्राह्मण को बुलाता हूंँ, मेरे प्रभु रघुवर आज समाधि लगाकर अगस्त्य मुनि के ध्यान में पहुंच गये, अगस्त्य मुनि वहीं है जो तीन अंजली में पूरे समुद्र को पी गये, अगस्त्य मुनि ने कहा- क्या आज्ञा है प्रभु? रामजी ने कहा- सिताजी बड़ी तंग करती है बाबा, आज अपना असली रूप बता देना, अगस्त्य मुनि आ गयें, सिताजी ने स्वागत किया, चरणों में प्रणाम किया, चरण धोये, रामजी बोले- महाराज आप

डुल्या मारुति, पूना, महाराष्ट्र

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श्रीडुल्या मारुति का मंदिर संभवत:  350  वर्ष पुराना है। पूना के गणेशपेठ में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। संपूर्ण मंदिर पत्थर का बना हुआ है ,  यह बहुत आकर्षक और भव्य है। मूल रूप से डुल्या मारुति की मूर्ति एक  काले पत्थर पर अंकित की गई है। यह मूर्ति पांच फुट ऊंची तथा ढाई से तीन फुट चौड़ी अत्यंत भव्य एवं  पश्चिम मुख है।  हनुमानजी की इस मूर्ति की दाईं ओर श्रीगणेश भगवान की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति की स्थापना छत्रपति शिवाजी के गुरु श्री समर्थ रामदास स्वामी ने की थी ,  ऐसी मान्यता है। सभा मंडप में द्वार के ठीक सामने छत से टंगा एक पीतल का घंटा है ,  इसके ऊपर शक संवत्  1700  अंकित है।

श्री हनुमान जी के उपाय

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ज हम आपको श्री हनुमान के कुछ अचूक टोटके बताने जा रहे है इन्हें आप करके अपने जीवन को बहुत हद तक सुखी बना सकते है !!श्री हनुमान जी के उपाय  को जानकर आप भी श्री हनुमान जी की कृपा से अपनी कुछ समस्या से छुटकारा पा सकोंगे !! जय श्री सीताराम !! जय श्री हनुमान !! जय श्री दुर्गा माँ !! जय श्री मेरे पूज्यनीय माता – पिता जी !!                         क़र्ज़ मुक्ति के उपाय  यदि आप क़र्ज़ या व्यापार की समस्या  से परेशान चल रह है तो सवा किलो उड़द की दाल और ढाई सौ ग्राम काली तिल को मिलाकर आटा पीस लें। अब आपको प्रति ११ मंगलवार इस गूंथ हुए आटे का दीपक बनाकर ११ मंगलवार तक लगातार बढ़ते हुए क्रम में सरसों के तेल के दीपक जलाने है ! जैसे की पहले मंगलवार के दिन एक दीपक, दूसरे दिन दो, तीसरे दिन तीन दीपक लगाएं, इसी तरह 11 दिनों तक 11 दीपक लगाएं। जब ११ दिन पुरे हो जाये तो घटते क्रम में दीपक लगाना शुरू कर दें। इस उपाय को करने से आपकी क़र्ज़ या व्यापार की समस्या का निवारण हो जायेगा ! शीघ्र ही आपको शुभ परिणाम प्राप्त होंगे लगेगें । बुरे सपने आने पर  जिस व्यक्ति को बुरे व् डरवाने सपने आटे है तो

इन 11 आसान उपायों से दूर करें कुंडली के पितृदोष

ज्योतिष में पितृदोष का बहुत महत्व माना जाता है। प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में पितृदोष सबसे बड़ा दोष माना गया है। इससे पीड़ित व्यक्ति का जीवन अत्यंत कष्टमय हो जाता है।> > जिस जातक की कुंडली में यह दोष होता है उसे धन अभाव से लेकर मानसिक क्लेश तक का सामना करना पड़ता है। पितृदोष से पीड़ित जातक की उन्नति में बाधा रहती है। आमतौर पर पितृदोष के लिए खर्चीले उपाय बताए जाते हैं लेकिन यदि किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष बन रहा है और वह महंगे उपाय करने में असमर्थ है तो भी परेशान होने की कोई बात नहीं। पितृदोष का प्रभाव कम करने के लिए ऐसे कई आसान, सस्ते व सरल उपाय भी हैं जिनसे इसका प्रभाव कम हो सकता है 1. कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करना चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।  2. अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराए। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं।  3. इसी

हनुमान धारा, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश

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उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थापित है। सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी तीन मील है।  हनुमान धारा वर्तमान में यह चित्रकूट स्थान उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की करवी (कर्वी) तहसील तथा मध्यप्रदेश के सतना जिले की सीमा पर स्थित है। चित्रकूट का मुख्य स्थल सीतापुर है जो कर्वी से आठ किलोमीटर की दूरी पर है। उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थापित है। यह स्थान पर्वतमाला के मध्यभाग में स्थित है। पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर पर दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है। इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है। इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं। धारा का जल पहाड़ में ही विलीन हो जाता है। उसे लोग प्रभाती नदी या पातालगंगा कहते हैं। इस स्थान के बारे में एक कथा इस प्रकार प्रसिद्ध है- श्रीराम के अयोध्या में राज्याभिषेक होने के बाद एक दिन हनुमानजी ने भगवान श्रीरामचंद्र से कहा- हे भगवन। मुझे कोई ऐसा स्थान बतलाइए, जहां लंका दहन से उत्पन्न मेरे शरीर का ताप मिट सके। तब भग

नियमित करें हनुमान चालीसा का पाठ, हर पल मिलेगा हनुमान जी का साथ

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हनुमान जी कलयुग में जागृत देव हैं और बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देव हैं। राम भक्त हनुमान जी को संकट मोचन कहा जाता है। हर तरह की समस्याओं का समाधान करते हैं हनुमान जी। धार्मिक ग्रंथो में इस बात का वर्णन भी है की जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसको जीवन में कोई परेशानी नहीं आती है और हनुमान जी की कृपा से उसके सभी तरह के कष्ट कट जाते हैं। आज हम आपको हनुमान चालीसा के नियमित पाठ के फायदे बताते हैं, इन फायदों को जान आप भी करने लगेंगे हनुमान चालीसा का पाठ। हनुमान चालीसा के नियमित पाठ से सभी तरह के भय दूर हो जाते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ इतना अधिक लाभदायक है की केवल इसके पाठ से जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है। हनुमान चालीसा में इस बात का वर्णन भी है कि हनुमान चालीसा के पाठ से सभी तरह के रोग, कष्ट मिट जाते हैं।  रोग, शोक निकट नहीं आवें महावीर जब नाम सुनाएं हनुमान जी का नाम लेने से ही रोग, शोक सब मिट जातें हैं। भूत पिशाच निकट नहीं आवें महावीर जब नाम सुनाएं । हनुमान चालीसा में इस बात का वर्णन है कि जो भी हनुमान जी का नाम लेता है उस पर कभी भी भूत

हनुमान चालीसा का सिद्ध प्रयोग

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हम सभी गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित  हनुमान चालीसा  की शक्ति और चमत्कार जानते है और आवशयकता अनुसार इसका प्रयोग करते है. आज हम आपको  हनुमान चालीसा  का 1 सिद्ध प्रयोग ( Hanuman Chalisa ke Sidh Prayog ) बता रहे है जिसको करने से आपकी सभी मनोकामना  भगवन हनुमान  पूरी करते है. इस  हनुमान चालीसा के सिद्ध प्रयोग  को किसी भी मंगलवार या शनिवार को ही चालू करे और लगातार ७ मंगलवार या शनिवार करे Hanuman Chalisa ke Sidh Prayog Samagri प्रयोग सामग्री पीपल के 11 पत्ते 11 लाल गुलाब लाल चन्दन 1 नारियल 2 लौंग मिटटी का दिया सरसो का तेल बनारसी पान का बीड़ा 375 ग्राम मीठी बूंदी ……………………… Hanuman Chalisa ke Sidh Prayog Vidhi प्रयोग विधि मिटटी के दिए मै सरसो का तेल डाल कर उसमे २ लौंग डाल कर प्रज्वलित कर ले 375 ग्राम मीठी बूंदी मिटटी के प्याले मैं डाल कर हनुमानजी को भोग लगा दे बनारसी पान का बीड़ा हनुमानजी को अर्पित कर दे नारियल पर लाल चन्दन से स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर हनुमानजी को अर्पित कर दे पीपल के 11 पत्ते लेकर साफ जल से धो लें। इन पत्तों पर लाल चंदन से प्रभु श्रीराम का नाम

करौली का अंजनी माता मंदिर

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करोली पांचना नदी से चारो और से घिरा और तिरकुट पहाड़ी पर्वत की पहाड़ी पर अंजनी माता का मंदिर धार्मिक आश्था के साथ पर्यटन का हब बनता जा रहा ह इसका निरमा राजा १२०२ में राजा अर्जुन देव ने करवाया था इस मंदिर में अंजनी माता को दुग्ध्पान कराती हुई है जो अपने आप में दुर्लभ है

प्राचीन हनुमान मंदिर

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प्राचीन हनुमान मंदिर , महाभारत काल से बाल हनुमान को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। यह दिल्ली में पांडवों द्वारा स्थापित पांच मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर में  श्री राम, जय राम, जय जय राम  मंत्र का जप 1 अगस्त 1964 से लगातार 24 घंटे किया जा रहा है, इस कारण मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। मंदिर का इतिहास: वर्तमान हनुमान मंदिर का स्वरूप सन 1724 में श्रद्धालुओं के सम्मुख आया जब तत्कालीन जयपुर रियासत के महाराज जयसिंह ने इसका फिर से जीर्णोद्धार करवाया. उसके पूर्व कनाट प्लेस स्थित भगवान हनुमान का ये दिव्य मंदिर आक्रमण और आततायी अत्याचार के तमाम झंझावातों से भी जूझता रहा था. मुगल शासकों के दौर में इस मंदिर पर कई आक्रमण होने की भी कहानियां भी मंदिर के महंत और श्रद्धालु सुनाते हैं. लेकिन अपने आप में ये बात भी उतनी ही चमत्कार और श्रद्धापूर्ण है कि हनुमान मंदिर के इस बालरूप को कभी भी कोई क्षति नहीं पहुंचा सका. मंदिर के महंत जिनकी पिछली 33 पीढ़ियां यहां बालरूप हनुमान की सेवा करती आ रही हैं बताते हैं कि कनाट प्लेस के हनुमान मंदिर में आने भक्तों पर बजरंगबली की हमेशा से

इच्छापूर्ण हनुमान मंदिर

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सरदारशहर के पास इच्छापूर्ण हनुमान मंदिर बहुत ही आकर्षक और सुंदर है। इस मंदिर में हनुमान जी की मूरत बेठे हुए रूप में है जो अपने भक्तो को आशीष देती हुई नजर आती है।

#इच्छापूर्ण #बालाजी #मंदिर सरदारशहर

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पान्डुपोल हनुमान मंदिर, ‍जिला अलवर (राजस्थान)

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हनुमानजी की अनोखी प्रतिमा वाला यह मंदिर राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। अलवर जिला मुख्यालय से लगभग 55 किमी दूर सरिस्का अभयारण्य और अरावली की सुन्दर वादियों में स्थित इस मंदिर स्थान को पान्डुपोल के नाम से जाना जाता है। सरिस्का राष्ट्रीय पार्क के मुख्य प्रवेश द्वार से 11 किमी की दूरी पर स्थित यह मंदिर महाभारतकाल की याद दिलाता है। कहा जाता है मंदिर उसी स्थान पर बना है, जहां हनुमानजी ने आराम किया था।   कहा जाता है कि पान्डुपोल वह प्राचीन स्थान है, जहां महाभारत के भीम ने विशाल दैत्य हिडिम्ब को हराकर उसकी बहन हिडिम्बा से विवाह किया था। पांडवों ने वनवास के दौरान यहां शरण ली थी।

उलटे हनुमान का मंदिर

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देश की प्राचीन सप्तपुरियों में से एक मध्य प्रदेश की उज्जैन नगरी से महज 30 किमी की दूरी पर श्री हनुमान जी की उल्टे रूप में साधना-अराधना होती है। मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। रामायणकालीन यह मंदिर साँवरे नामक स्थान पर स्थापित है।

प्रयाग के लेटे हनुमान

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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर स्थित है हनुमान जी की यह लेटी हुई प्रतिमा। 20 फीट लम्बी इस प्रतिमा को हर साल गंगा जी स्नान कराने के लिए आती हैं। देश-दुनिया में जहां नदियों के जलस्तर को एक संकट के रूप में देखा जाता है, वहीं इस मंदिर के भक्त गंगा के जलस्तर को शुभता की दृष्टि से देखते हैं। मान्यता है कि जिस साल गंगा जी हनुमान जी को स्नान करने में असमर्थ रहती है तो वह उसकी भरपाई अगले वर्ष उन्हें कई बार स्नान कराकर करती हैं।

अयोध्या के हनुमानगढ़ी

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अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर ऊंचे टीले पर स्थित हनुमानगढ़ी सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं। यहां पर स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा केवल छः (6) इंच लंबी है, जो हमेशा फूलमालाओं से सुशोभित रहती है। हनुमान गढ़ी, वास्‍तव में एक गुफा मंदिर है। माना जाता है कि लंका विजय करने के बाद हनुमान यहां एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। इसे हनुमानजी का घर भी कहा जाता है। इस मंदिर परिसर के चारों कोनो में परिपत्र गढ़ हैं। मंदिर परिसर में मां अंजनी व बाल (बच्‍चे) हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमानजी, अपनी मां अंजनी की गोदी में बालक रूप में लेटे हैं। इस मंदिर के जीर्णोद्धार के पीछे एक कहानी है। सुल्तान मंसूर अली लखनऊ और फैजाबाद का प्रशासक था। तब एक बार सुल्तान का एकमात्र पुत्र बीमार पड़ा। वैद्य और डॉक्टरों ने जब हाथ टेक दिए, तब सुल्तान ने थक-हारकर आंजनेय के चरणों में अपना माथा रख दिया। उसने हनुमान से विनती की और तभी चमत्कार हुआ कि उसका पुत्र पूर्ण स्वस्थ हो गया। उसकी धड़कनें फिर से सामान्य हो गईं।